Saturday, August 13, 2016

डायरी एक रूढ़िवादी महिला की

भारत एक बहुत विविध देश है. हम सभी हमारे जीवन में अनेक तरह के लोगों से मिलते हैं. पर क्या आपने कभी इनके भावों के विषय में विचार किया है? मैं किया है. तो आपके सामने प्रस्तुत है विचार एक रूढ़िवादी यानी conservative महिला की डायरी. मज़ेदार डायरी है ये.




हे राम! कैसी आफत है मेरी बेटी ! ऐसा लगता है कि समुद्र मंथन में जिस प्रकार राहू ने धोखे से अमृत का एक घूँट पी लिया था, उसी प्रकार इसने भी पापों के अमृत का पूरा लोटा पी लिया है. पापों की मंडी, आफत की पुडिया, निकम्मी, संकी, संस्कार न समझने वाली, मॉडर्न बनने का प्रयास करती रहती है, भारतीय है या फिरंगी? ऐसा लगता है फिरंगी जब भारत छोड़कर गए थे, तब इसकी परवरिश करके गए थे.


ये सब छोड़ो. आज प्रतिदिन की तरह मैंने जल्दी उठकर स्नान किया और प्रभु को गंगाजल चढ़ाया. ये आफत लक्ष्मी तो आठ बजे के पहले बिस्तर से हिलती भी नहीं. इतनी देर सोकर थक नहीं जाती? मैं बार बार इस मनहूस के बारे में क्यों बात कर रही हूँ? इतना तंग करती है, मैं भी क्या बताऊँ डायरी जी! आज इसके वो पीरियड्स भी चालु हो गए. थपड खाया मेरे हाथ से! पागल लड़की भगवान के सामने जाकर प्रसाद खा रही थी! शर्म और लज्जा नाम की कोई चीज़ भी होती है क्या?


चलो बहुत हो गयी बुरी बातें. अब मेरे लाडले सुशांत की बात करती हूँ. मेरी आँखों का तारा, मेरा राज दुलारा बेटा कितना प्यारा है. सब बात मानता है. लड़कियों से दूर रहता है. रोज पूजा करता है. रोज लक्ष्मी से पहले खाना खाता है. उसे समझाने का भी प्रयत्न करता है, पर वो कमबख्त है कि समझती ही नहीं! अंग्रेजों की बेटी.

कल साहिबा मॉल में शॉर्ट्स खरीदने का ज़िक्र कर रही थी. क्या उसका दिमाग लधाक गया है? एक लड़की इतने छोटे-छोटे, एक साल के बच्चे के नाप के कपडे भला कैसे पहन सकती है? हमारे परिवार में ऐसे संस्कार नहीं हैं . पर इनकी (पतिदेव) की भी ये लाडली है, तो अब राजकुमारी सा “शॉर्ट्स” पहनकर घूमने जाया करेंगी और मेरा मुहँ काला करा करेंगी.
आजकल की लड़कियाँ खाना बनाना कम, डाइट करना ज्यादा जानती हैं.  साड़ी पहनना तो दूर की बात है, जीन्स भी पहन ले तो काफी है.लडकों से बात करना छोड़ो, ये तो उनकी गर्लफ्रेंड बनी फिरती है. संस्कार कम, अंग्रेजी ज्यादा जानती है. आप ही बताइए डायरी जी, अब इस देश का क्या होगा?



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